Facts About Loard Shiva - दोस्तों आज हम आपको भगवान शिव से जुड़े कुछ खास जानकारी देंगे। शंकर या महादेव आरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म (शैव धर्म) नाम से जाने जाती है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप भगवान शिव से जुड़ी कुछ खास बातें (Facts & Information About Loard Shiva In Hindi) जानना चाहते है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
भगवान शिव के रोचक तथ्य - Load Shiva Facts in Hindi
- भगवान शिव के कोई माता-पिता नही है। उन्हें अनादि माना गया है। मतलब, जो हमेशा से था। जिसके जन्म की कोई तिथि नहीं।
- कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है उसे नटराज कहते है।
- किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती। लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है।
- हम शिवरात्री इसलिए मनाते है क्योंकि इस दिन शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था।
- वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते है। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।
- शंकर भगवान का शरीर नीला इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होने जहर पी लिया था। दरअसल, समुंद्र मंथन के समय 14 चीजें निकली थी। 13 चीजें तो असुरों और देवताओं ने आधी-आधी बाँट ली लेकिन हलाहल नाम का विष लेने को कोई तैयार नही था। ये विष बहुत ही घातक था इसकी एक बूँद भी धरती पर बड़ी तबाही मचा सकती थी। तब भगवान शिव ने इस विष को पीया था। यही से उनका नाम पड़ा नीलकंठ।
- भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। इसलिए कहते है, तीसरी आँख बंद ही रहे प्रभु की।
- सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।
- भगवान शिव ने गणेश जी का सिर इसलिए काटा था क्योकिं गणेश ने शिव को पार्वती से मिलने नही दिया था। उनकी मां पार्वती ने ऐसा करने के लिए बोला था।
- भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था। जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था।
- भगवान शिव और माता पार्वती का 1 ही पुत्र था। जिसका नाम था कार्तिकेय। गणेश भगवान तो मां पार्वती ने अपने उबटन (शरीर पर लगे लेप) से बनाए थे।
- शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फुल नही चढ़ाया जाता। क्योंकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था।
- शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है। लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नही चढ़ाया जा सकता।
- चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है।
- जिस बाघ की खाल को भगवान शिव पहनते है उस बाघ को उन्होनें खुद अपने हाथों से मारा था।
- नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है। वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था। जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था।
- वनवासी से लेकर सभी साधारण व्यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते है, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते है।
भगवान शिव के बारे में रोचक जानकारी - Facts About Lord Shiva in Hindi
- शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है।
- जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद है उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद है।
- शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते है। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में विभक्त हो गई।
- शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख है। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।
- भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते है।
- ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन है- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।
- दो ही शिव के मंत्र है पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।
- सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते है। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।
- शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।
- शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते है– शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते है। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की है। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल है। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य है।
- शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।
Amazing Facts About Lord Shiva In Hindi
- शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि कही गई है।
- शिव के प्रमुख 6 पुत्र है- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।
- ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
- शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
- शिव के वैसे तो अनेक नाम है जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
- भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते है। वे रावण को भी वरदान देते है और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता है।
- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान है। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े है। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते है। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते है।
- तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान है उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।
- शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी। जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था।
- शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता। क्योकिं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था। आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था।
- भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम है वासुकि। यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था। भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था।
- देवी गंगा को जब धरती पर उतारने की सोची तो एक समस्या आई कि इनके वेग से तो भारी विनाश हो जाएगा। तब शंकर भगवान को मनाया गया कि पहले गंगा को अपनी ज़टाओं में बाँध लें, फिर अलग-अलग दिशाओं से धीरें-धीरें उन्हें धरती पर उतारें।
- शिव के 7 शिष्य है जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य है- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
- वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।
- भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए है। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिए थे।
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